जयपुर, राजस्थान में एक दिल को छू लेने वाली घटना सामने आई जब पुलिस ने एक बच्चे को 14 महीने के बाद अगवा करने वाले से छुड़ाया। यह घटना न केवल पुलिसकर्मियों बल्कि समाज को भी गहराई से प्रभावित करने वाली थी। बच्चे की भावनात्मक प्रतिक्रिया और किडनैपर की असामान्य स्थिति ने इस पूरे मामले को एक अनोखी दिशा दे दी।
अपहरण की घटना
मामला 14 जून 2023 का है, जब जयपुर के सांगानेर इलाके से एक 11 महीने का बच्चा, पृथ्वी उर्फ कुक्कू, अगवा कर लिया गया। आरोपित तनुज चाहर, जो उत्तर प्रदेश पुलिस का निलंबित हेड कांस्टेबल है, ने इस बच्चे को अपने चार-पांच साथियों के साथ मिलकर अगवा किया। तनुज ने बच्चे को उसके घर से उठाकर 14 महीने तक अपनी कैद में रखा।
बच्चे और किडनैपर के रिश्ते
14 महीने की कैद के दौरान, तनुज ने बच्चे की अच्छे से देखभाल की। उसने बच्चे को न केवल किसी प्रकार की शारीरिक चोट नहीं पहुँचाई, बल्कि उसे नए कपड़े और खिलौने भी दिए। इस लंबे समय तक किडनैपर की देखभाल में रहने के बावजूद, बच्चे और किडनैपर के बीच एक अनोखा बंधन विकसित हो गया था। जब पुलिस ने बच्चे को किडनैपर से अलग किया, तो बच्चा उसे छोड़ने को तैयार नहीं था।
पुलिस की कार्रवाई और बच्चे की भावनात्मक प्रतिक्रिया
पुलिस ने तनुज को अलीगढ़ से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय, तनुज ने साधु के वेश में दाढ़ी-मूंछ बढ़ा रखी थी और भगवा चोला पहन रखा था। जब पुलिस ने उसे पकड़ा, तो बच्चे को उससे अलग करते समय, बच्चा किडनैपर से लिपट कर जोर-जोर से रोने लगा। यह दृश्य इतना भावुक था कि किडनैपर की भी आंखों में आंसू छलक पड़े।
पुलिसकर्मियों ने बच्चे को थाने के बाहर खड़ी उसकी मां के पास सौंपा, लेकिन बच्चा किडनैपर के पास लौटने की जिद करता रहा। यह स्थिति न केवल पुलिसकर्मियों के लिए बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति के लिए भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण थी।
आरोपी का दावा और जांच
तनुज ने पुलिस कस्टडी में भी यह दावा किया कि पृथ्वी उसका ही बच्चा है। उसने बच्चे की मां से संपर्क बनाए रखा और उसे अपने पास रखना चाहता था, जिससे पुलिस को प्रेम-प्रसंग की संभावना की भी आशंका थी। पुलिस ने इस आशंका की जांच की और यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या आरोपी और बच्चे की मां के बीच कोई व्यक्तिगत संबंध था जो इस अपहरण की घटना को प्रेरित कर सकता था।
पुलिस की कार्यवाही और गिरफ्तारी
पुलिस ने बच्चे की बरामदगी के लिए कई राज्यों में छापेमारी की। 27 अगस्त 2024 को खेतों में पीछा करके तनुज चाहर को पकड़ा गया और उसे जयपुर लेकर आया गया। वर्तमान में आरोपी पुलिस कस्टडी में रिमांड पर है। उसकी गिरफ्तारी से यह सुनिश्चित हुआ कि बच्चे को उसकी मां को सुरक्षित सौंपा जा सके और आरोपी को कानूनी सजा दी जा सके।
परिणाम और समाज की प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम ने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया कि बच्चों की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है और अपहरण के मामले में भावनात्मक संबंधों की जटिलता कितनी गंभीर हो सकती है। पुलिस ने मामले को सुलझाते हुए बच्चे को सुरक्षित ढंग से उसकी मां के पास पहुंचाया, लेकिन इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि अपहरण की स्थिति में भी बच्चे के साथ भावनात्मक बंधन बन सकते हैं, जो समाज और कानून के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है।
इस घटना ने यह सिखाया कि किसी भी आपराधिक मामले में केवल अपराधी और पीड़ित के बीच का रिश्ता ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि पीड़ित के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है। यह भावनात्मक पहलू न केवल जांच को जटिल बना सकता है बल्कि समाज को यह सोचने पर भी मजबूर कर सकता है कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है।