China On Moon: चांद पर उतरने की कोशिशें पूरी दुनिया में जारी हैं, लेकिन चीन इस दिशा में एक अनोखी पहल के साथ आगे बढ़ रहा है। चांद पर स्थायी ठिकाना स्थापित करने के अपने महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, चीन ने चंद्रमा की कृत्रिम मिट्टी से ईंटें तैयार की हैं। यह कदम अंतरिक्ष में निर्माण की संभावनाओं को खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल हो सकता है। यदि यह प्रयास सफल होता है, तो यह चांद पर घर बनाने के लिए एक नई संभावनाओं की दुनिया खोल सकता है।
चीन ने जो ईंटें तैयार की हैं, वे चंद्रमा की कृत्रिम मिट्टी से बनी हैं। इन ईंटों को अगले तीन वर्षों के लिए अंतरिक्ष स्टेशन में रखा जाएगा, ताकि यह परीक्षण किया जा सके कि ये ईंटें अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों को सहन कर सकती हैं या नहीं। इस परीक्षण से यह पता चलेगा कि चांद की सतह पर इन ईंटों की स्थिरता और मजबूती कितनी है, जो भविष्य में चांद पर निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो सकता है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, वुहान स्थित हुआझोंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डिंग लियुन और उनकी टीम इस परियोजना पर कई वर्षों से काम कर रहे थे। डिंग ने बताया कि इन ईंटों को अगले महीने तियानझोउ-8 कार्गो स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से तियानगोंग स्पेस स्टेशन भेजा जाएगा। तीन वर्षों तक इन ईंटों पर निगरानी रखी जाएगी, ताकि यह जांचा जा सके कि इन पर रेडिएशन और तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है। यह आवश्यक है कि समझा जाए कि क्या ये ईंटें अंतरिक्ष की कठिन परिस्थितियों में स्थिर रहेंगी या उनमें कोई क्षति होगी।
डिंग ने एक लाइव शो में बताया कि धरती पर ईंटों को 100 मेगापास्कल की ताकत तक पकाया जा सकता है, जो कि कंक्रीट से कहीं अधिक कठोर होता है। लेकिन चांद जैसे कठोर वातावरण में ये ईंटें कितनी टिकाऊ होंगी, यह एक चुनौती है। डिंग के अनुसार, उन्होंने चांद की मिट्टी की विशेषताओं की नकल करते हुए धरती पर एक कृत्रिम मिट्टी तैयार की है। इन मिट्टी से बनी ईंटें सामान्य धरती पर मिलने वाली ईंटों की तुलना में तीन गुना अधिक ताकतवर हैं। जहां सामान्य ईंटें 10 से 20 मेगापास्कल की ताकत रखती हैं, वहीं चीन की ईंटें 50 मेगापास्कल से भी अधिक ताकतवर हैं।
चांद पर उचित निर्माण के लिए आवश्यक वातावरण को सुनिश्चित करने के लिए, वैज्ञानिकों ने मिट्टी को ग्रेफाइट के सांचे में ढाला और फिर उन्हें वैक्यूम हॉट प्रेस भट्ठी में पकाया। इस प्रक्रिया के कारण ये ईंटें पत्थरों से भी अधिक कठोर हो गई हैं। चीन ने 2035 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक रिसर्च सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है, जिसे इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन नाम दिया जाएगा। अप्रैल तक, 10 से अधिक देशों ने इस परियोजना में भागीदारी की है, जो इस महत्वाकांक्षी योजना की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाता है।
डिंग के अनुसार, इस रिसर्च सेंटर का आकार अंडे के आकार का होगा और इसे 3डी प्रिंटिंग तकनीक से तैयार किया जाएगा। इसके अलावा, यह भी संभव है कि रोबोट की मदद से चांद की मिट्टी का उपयोग करके वहां निर्माण किया जाए। एक अन्य विकल्प के रूप में, रोबोट चांद पर ईंटें इकट्ठा करके पारंपरिक तरीकों से उन्हें पकाएंगे। डिंग का कहना है कि हमें उम्मीद है कि 2028 तक पहली वास्तविक चंद्रमा की मिट्टी से बनी ईंट तैयार की जाएगी।
इस प्रकार, चीन की यह पहल न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में एक नई दिशा की ओर इशारा करती है, बल्कि चांद पर मानव जीवन की संभावनाओं को भी साकार करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस परियोजना की सफलता न केवल चीन के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को दर्शाएगी, बल्कि यह भी साबित करेगी कि भविष्य में चांद पर स्थायी ठिकानों का निर्माण संभव है। यह कदम अंतरिक्ष के अनंत संभावनाओं के द्वार खोलने के साथ-साथ मानवता के लिए एक नई युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकता है।